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झारखंड में बनी फिल्म "लोहरदगा" पूरे भारत में धूम मचा रही है।

 झारखंड की खूबसूरती को सिनेमाघरों में प्रदर्शित करने वाला पहला फिल्म लोहरदगा जो हिंदी भाषा में बनी फिल्म है। या फिल्म सिनेमाघरों में 10 मार्च को रिलीज किया गया जिसका जनता के तरफ से देखने का उत्साह जोरो से दिख रहा है।



जनता के दिल को छू ले रही हैं फिल्म की कहानी ।



झारखंड में  इस फिल्म का इंतजार दर्शकों को वर्षों से था. फिल्म के निर्देशक श्री लाल विजय शाहदेव ने बताया कि यह उनकी पहली फिल्म है, जिसे उन्होंने निर्देशित किया है. यह बहुत गर्व की बात है कि इस फिल्म में झारखंड के 100 से अधिक कलाकारों ने काम किया है. 



फिल्म में संजय मिश्रा, विजय राज, अखिलेंद्र मिश्रा जैसे प्रतिभाशाली और जाने-माने कलाकार हैं, साथ ही रवि झंकल, दधी पांडे, नीतू पांडे, चारुल मलिक, हंसराज जगताप, सुमित भोक्से, ऋषि ठाकुर, रकीब अरशद, अशोक गोप, मधु रॉय, पंकज सिन्हा, विनोद सोनी, वर्षा लकड़ा, शिशिर पंडित, ओम प्रकाश, काका जी, चंदा कुमारी, प्रिया अंबष्ट प्रमुख भूमिकाओं में हैं.  फ़िल्म में मुख्य किरदार को जीवंत किया है सर्वदमन ने जिनकी यह पहली फ़िल्म है. सभी अभिनेताओं ने अपने किरदारों पर कड़ी मेहनत की है और अपने चरित्र को पर्दे पर जीवंत किया है. फ़िल्म का कॉन्सेप्ट बीरेन्द्र पासवान की है जिसे लाल विजय शहदेव ने लिखा है.



लोहरदगा और झारखंड के पड़ोसी क्षेत्रों की सच्ची घटनाओं से प्रेरित, फिल्म 20 वर्ष की आयु के एक युवा देशभक्त लड़के मनु की यात्रा को दर्शाती है, जिसकी जीवन की महत्वाकांक्षा सेना में भर्ती होने की है. लेकिन वह एक गारंटीशुदा सरकारी नौकरी के लालच में एक एजेंट के जाल में फंस जाता है, जो उसे एक नक्सली के रूप में अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद मिलेगा. कहानी इस बात के इर्द-गिर्द घूमती है कि क्या होता है जब मनु अन्य 19 युवा लड़कों के साथ नक्सली बनकर आत्मसमर्पण करने जाता है.




गरीबी और बेरोजगारी से निराश आज का युवा गुमराह होकर नक्सली समूहों में शामिल होने के लिए उनका ब्रेनवाश किया जा रहा है। कुछ एनजीओ और अधिकारी शोहरत और पहचान पाने की उम्मीद में इस तरह के फर्जी सरेंडर करने की साजिश रचकर युवाओं की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। यह फिल्म उन भटके हुए युवाओं को बचाने और उन्हें समाज की मुख्य धारा में वापस लाने का मिशन है। “लोहरदगा” एक भावनात्मक थ्रिलर है जो न केवल गंभीर सामाजिक मुद्दों को दिखाती है बल्कि दर्शकों का मनोरंजन भी करती है.



फिल्म की निर्माता डॉ. नेहा शांडिल्य ने कहा कि फिल्म की कहानी दिल को छूती है और दर्शक इसकी कहानी से तुरंत जुड़ जाएंगे. देहाती पृष्ठभूमि में पात्रों के यथार्थवादी चित्रण के माध्यम से निर्देशक की दृष्टि जीवित हो गई है क्योंकि कहानी एक मनोरम गति से सामने आती है. संजय मिश्रा और विजय राज की जोड़ी का शानदार प्रदर्शन दर्शकों को खूब रास आने वाला है. सभी कलाकारों ने अपने किरदारों को पूरी शिद्दत से निभाया है. फिल्म का निर्माण रोज क्वार्ट्ज एंटरटेनमेंट के बैनर तले आकृति एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से किया गया है.